इस दुनिया में

इस दुनिया में अजनबी बने रहना ही ठीक है..लोग बहुत तकलीफे देते है “अक्सर अपना बना कर” ।

दर्द ओढ़ता हूँ

दर्द ओढ़ता हूँ तेरे और यादें बिछाता हूँ अकेला अब भी नहीं तेरे जाने के बाद…..

हम भी कैसे दिवाने निकले….

हम भी कैसे दिवाने निकले….. ए ज़िंदगी हम तुम्हें मनाने निकले….

मुमकिन हुआ तो

मुमकिन हुआ तो तुम्हे माफ करूँगा मैं… फिलहाल तो तेरे आंसुओ का मुन्तज़िर हूँ…

उम्र भर चल के

उम्र भर चल के भी पाई नहीं मंज़िल हम ने, कुछ समझ में नहीं आता ये सफ़र कैसा है…

पहले तो अपने दिल की

पहले तो अपने दिल की रजा जान जाइये फिर जो निगाहे यार कहे मान जाइये कुछ कह रही है आप की सीने की धड़कने, मेरी सुनिये तो दिल का कहा मान जाइये एक धुप सी जमी है आखो के आस पास आप है तो आप पर कुर्बान जाइये।

यादों की हवा

यादों की हवा चल रही है, शायद आँसुओं की बरसात होगी .

मुनासीब हो तो

मुनासीब हो तो बात कर लिया करो यार… वरना हमें तो पता ही है अजीज नहीं हम तेरे

सिर्फ वक्त ही

सिर्फ वक्त ही गुजारना हो तो किसी और को आजमा लेना, हम तो चाहत और दोस्ती दोनों इबादत की तरह करते है|

निकाल दिया उसने

निकाल दिया उसने हमें अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के |

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