खतावार समझेगी दुनिया तुझे .. अब इतनी भी ज्यादा सफाई ना दे
Tag: Hindi Shayri
सो जाता है
जिस्म फिर भी थक हार कर सो जाता है …. ज़हन का भी कोई बिस्तर होना चाहिए …
मैं उम्मीदें बोता हूँ
चीर के ज़मीन को मैं उम्मीदें बोता हूँ मैं किसान हूं चैन से कहाँ सोता हूँ
इस शहर में
इस शहर में मजदूर जैसा दर बदर कोई नहीं सैंकड़ों घर बना दिये पर उसका कोई घर नहीं
ताल्लुकात बढ़ाने हैं
ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो कुछ आदतें बुरी भी सीख लो.. ऐब न हों.. तो लोग महफ़िलों में भी नहीं बुलाते…!
मरम्मतें खुद की
मरम्मतें खुद की रोज़ करता हूँ, रोज़ मेरे अंदर एक नुक्स निकल आता है !!
इलाज -ए- ग़म
तेरी याद इलाज -ए- ग़म है, सोंच तेरा मुकाम क्या होगा!
तकदीरें बदल जाती हैं
तकदीरें बदल जाती हैं जब ज़िंदगी का कोई मकसद हो, वरना ज़िंदगी कट ही जाती है तकदीरों को इल्ज़ाम देते देते!
दुरुस्त कर ही
दुरुस्त कर ही लिया मैंने नज़रिया अपना, कि दर्द न हो तो मोहब्बत मज़ाक लगती है!
एक हद होती है
हद पार करने की भी… एक हद होती है