उड़ने दो मिट्टी

उड़ने दो मिट्टी,कहाँ तक उड़ेगी, हवा का साथ छूटेगा, ज़मीं पर आ गिरेगी…!

लगता था ज़िन्दगी को

लगता था ज़िन्दगी कोबदलने में वक़्त लगेगा… क्या पता था बदलता हुआ वक़्त ज़िन्दगी बदल देगा..

खुली छतों पे

खुली छतों पे दिए कब के बुझ गए होतेकोई तो है जो हवाओं के पर कतरता है……

लफ़्ज़ों ने बहुत

लफ़्ज़ों ने बहुत मुझको छुपाया लेकिन…. उसने मेरी नज़रों की तलाशी ले ली

कुछ भी नहीं

कुछ भी नहीं है बाक़ी बाज़ार चल रहा है, ये कारोबार-ए-दुनिया बेकार चल रहा है|

परेशान मत हो

परेशान मत हो मेरी जान, कहा ना मैं हमेशा तेरे साथ हूँ !!

बहुत ही खूबसूरत

बहुत ही खूबसूरत होती है एक तरफ़ा मोहब्बत ना ही कोई शिकायत होती है और ना ही कोई बेवफ़ा कहलाता है|

जाने कब उतरेगा कर्ज

जाने कब उतरेगा कर्ज उसकी मोहब्बत का, हर रोज आँसुओं से इश्क की किस्त भरता हूँ..

सोच रहा हूँ

सोच रहा हूँ कि लिखूं कुछ ऐसा आज जिसे पढ़, वो रोये भी ना और, रात भर सोये भी ना..

अब ना करूँगा

अब ना करूँगा अपने दर्द को बया किसी के सामने, दर्द जब मुझको ही सहना है तो तमाशा क्यूँ करना…!!!

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