आंसू निकल पडे

आंसू निकल पडे ख्वाब मे उसको दूर जाते देखकर..!! आँख खुली तो एहसास हुआ इश्क सोते हुए भी रुलाता है..!!

रुकी-रुकी सी लग रही है

रुकी-रुकी सी लग रही है नब्ज-ए-हयात, ये कौन उठ के गया है मेरे सिरहाने से।

मुमकिन नहीं है

मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए किस्से लिखना, मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िल सजाना सीख लो।

हम ने भी कह दिया

हम ने भी कह दिया उनसे की बहुत हो गयी जंग बस.. बस ए मोहब्बत तुझे फ़तेह मुबारक मेरी शिक्स्त हुई।

तुमसे ऐसा भी

तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे? दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।

इश्क है या इबादत..

इश्क है या इबादत.. अब कुछ समझ नहीं आता, एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता.

आईना आज फिर

आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया, दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया|

वो दुआएं काश

वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती, ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है!!

निगाहों से भी

निगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब.. जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!!

हम मोहब्बत में

हम मोहब्बत में दरख़्तों की तरह है..जहाँ लग जायें वहीं मुद्दतों खड़े रहते हैं!!!

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