ग़म मिलते हैं तो और निखरती है शायरी… ये बात है तो सारे ज़माने का शुक्रिया…
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घर से निकले थे
घर से निकले थे हौसला करके लौट आए ख़ुदा-ख़ुदा करके ज़िंदगी तो कभी नहीं आई मौत आई ज़रा-ज़रा करके…!!
तुझे जी नहीं पा रहे हम
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में,तुझे वक़्त ही नहीं दे पा रहे हम,माफ़ करना ऐ ज़िंदगी, तुझे जी नहीं पा रहे हम…..
यू तो फूल बहूत थे
यू तो फूल बहूत थे बागो मे पर हमे पंसद वो था जो सब से अकेला था..!!!!
कोई ये कैसे बताये
कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों हैं यही होता है तो आखिर यही होता क्यों हैं |
रिश्ते कभी जिंदगी के साथ
रिश्ते कभी जिंदगी के साथ साथ नहीं चलते… रिश्ते एक बार बनते हैं… फिर जिंदगी रिश्तो के साथ साथ चलती है… !
भूख रिश्तों को
भूख रिश्तों को भी लगती है, प्यार कभी परोस कर तो देखिए।
सितम याद आ रहा है
सितम याद आ रहा है रह रहकर.. मोहब्बत में कितने ज़ालिम सा था वो….
सबसे गिरी हुई चीज़
फायदा सबसे गिरी हुई चीज़ है, लोग उठाते ही रहते हैं..!!
तमाम लोगों को
तमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकी, कमबख्त हमारा दिल है, कि अब भी सफर में है।