मजबूरियां थी मेरी

क्या खुब…मजबूरियां थी मेरी..अपनी खुशी…को छोड दिया बस उसे खुश देखने के लिए..

हद से बढ़ जाये

हद से बढ़ जाये तालुक तो गम मिलते हैं.. हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते |

मोहब्बत के लिये

मोहब्बत के लिये अब तेरी मौजूदगी ज़रूरी नहीं यारा ……. ज़र्रे-ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है …!!

चुभता तो बहुत

चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह…!!! मगर ख़ामोश रहता हूँ, अपनी तक़दीर की तरह…!!

ये सर्द शामे

ये सर्द शामे भी किस कदर जालिम हैं, बेशक सर्द हैं फिर भी इनमें दिल सुलगता है|

सुकून गिरवी है

सुकून गिरवी है उनके पास, जिनसे मोहब्बत उधार ली थी…

जागना भी कुबूल है

जागना भी कुबूल है तेरी यादों में रातभर, तेरे अहेसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ !!

पता है तुम्हारी

पता है तुम्हारी और मेरी, मुस्कान मे क्या फर्क है , तुम खुस होकर मुस्कुराते हो, हम तुम्हे खुस देखकर मुस्कुराते है..

आँख खुलते ही

आँख खुलते ही याद आ जाता है तेरा चेहरा, दिन की ये पहली ख़ुशी भी कमाल होती है।

मरीज़-ए-इश्क़

मरीज़-ए-इश्क़ हूँ तेरा, तेरा दीदार काफी है…. हर एक नुस्खे से बेहतर, निगाह-ए-यार काफी है !

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