सफ़र-ए-ज़िन्दगी

सफ़र-ए-ज़िन्दगी में इक तेरे साथ की ख़ातिर..!!उन रिश्तों को भी नज़रअंदाज़ किया जो हासिल थे..!! ‪

मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी

मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में, इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं…

मैं याद तो हूँ

मैं याद तो हूँ उसे, पर ज़रूरत के हिसाब से। मेरी हैसियत, कुछ नमक जैसी है।

छुपी होती है

छुपी होती है लफ्जों में बातें दिल की…!! लोग शायरी समझ के बस मुस्कुरा देते हैं…!!

मिलन की रुत से

मिलन की रुत से मुहोब्बत को तराशने वालों, अकेले बैठ के रोना भी प्यार होता हैं..!!

घरों पे नाम थे

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला…!

गलियों की उदासी

गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है… इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!

तेरी चाहत ने

तेरी चाहत ने अगर मुझको न मारा होता, मैं ज़माने में किसी से भी न हारा होता….

मुमकिन नहीं है

मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए, किस्से लिखना……….!! मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी, महफ़िल सजाना सीख लो…….!!

खुद ही दे जाओगे

खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..! वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं..!

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