अब में क्यों तुझे

अब में क्यों तुझे प्यार करता हूँ… जब तेरे शहर से गुज़रता हूँ…

वो घडी आई…

आखिर कार वो घडी आई… बार-ऐ-बार हो गए रक़ीब मेरे…

जरूरी नहीं की

जरूरी नहीं की हर बात पर तुम मेरा कहा मानों, दहलीज पर रख दी है चाहत, आगे तुम जानो….

शिकायतो की पाई पाई

शिकायतो की पाई पाई जोड़ कर रखी थी मैंने !उसने गले लगा कर.. सारा हिसाब बिगाड़ दिया ||

सुना है तुम ले लेती हो

सुना है तुम ले लेती हो हर बात का बदला.. आजमाएंगे कभी तुम्हारे होठो को चूम कर..

याद है मुझे वो चार पल

याद है मुझे वो चार पल की महोब्बत, किसी ने हम पर भी एहसान किया था !!

मत पूछों मुझसे

मत पूछों मुझसे मोहब्बत का हिसाब, मैंने कतरों-कतरों में समन्दर बहाया है…

जो नजर से

जो नजर से गुजर जाया करते हैं, वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं, कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते, बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं|

अलविदा कहते हुए

अलविदा कहते हुए जब मैंने मांगी उससे कोई निशानी वो मुस्कुरा के बोले मेरी जुदाई ही काफ़ी हैं तुझे रुलाने के लिए..!!

कुछ तो शराफत सीख ले

कुछ तो शराफत सीख ले ऐ ‘मोहब्बत’ शराब से, बोतल पे कम से कम लिखा तो है कि मैं जानलेवा हूँ..

Exit mobile version