क्या क्या रंग

क्या क्या रंग दिखाती है जिंदगी क्या खूब इक्तेफ़ाक होता है, प्यार में ऊम्र नहीँ होती पर हर ऊम्र में प्यार होता है..!!

आंसू निकल पडे

आंसू निकल पडे ख्वाब मे उसको दूर जाते देखकर..!! आँख खुली तो एहसास हुआ इश्क सोते हुए भी रुलाता है..!!

रुकी-रुकी सी लग रही है

रुकी-रुकी सी लग रही है नब्ज-ए-हयात, ये कौन उठ के गया है मेरे सिरहाने से।

तुमसे ऐसा भी

तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे? दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।

इश्क है या इबादत..

इश्क है या इबादत.. अब कुछ समझ नहीं आता, एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता.

निगाहों से भी

निगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब.. जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!!

जिंदगी कब तलक दर दर

जिंदगी कब तलक दर दर फिरायेगी हमें…. टूटा फूटा ही सही घर बार होना चाहिये…

जख्म कैसे दिखाऊं

जख्म कैसे दिखाऊं ये तुमको…. सबने मिल के मुझे सताया है…

दर्द दे तो गया है

दर्द दे तो गया है आशकी का….हर तरफ आंसुओं का साया है…

ये जो भी आज

ये जो भी आज हाल है… सब तेरी ही मेहरबानी है…

Exit mobile version