संदेशा प्रेम का

संदेशा प्रेम का देता फिरता है वो घर दिलों में सभी के ही बना देता है!

मुझे फुर्सत से

मुझे फुर्सत से मिलो सब तुम्हे बताऊंगा कौन कमज़र्फ है और कौन दुआ देता है!

अपने रिश्ते में

अपने रिश्ते में कभी शक़ को न आने देना ये बिना आग ही घर बार जला देता है!

कुछ हाथ नहीं है

सिर्फ पछतावे के कुछ हाथ नहीं है आता वक़्त बेकार में जो अपना गँवा देता है!

फख्र इतना भी

फख्र इतना भी न कर दोस्त कभी सूरत पर सेब को वक्त छुआरा भी बना देता है!

बात हुई थी

बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गयी..

उलझा के रख दिया है

उलझा के रख दिया है किसी ने जवाब को सीधा सा था सवाल….प्यार करते हो या नहीं…

आशिक़ी के पिंजरे से

आशिक़ी के पिंजरे से,। कोई चिड़िया इधर नही आती

प्यासे जब भी

प्यासे जब भी पानी-पानी करते हैं। दरिया वाले आना कानी करते है।।

तुम दूर बहुत दूर हो

तुम दूर बहुत दूर हो मुझसे ये तो जानता हूँ मैं,..!! पर तुमसे करीब मेरे कोई नही है बस ये बात तुम याद रखना..!!

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