सूखे पत्ते भीगने लगे हैं अरमानों की तरह मौसम फिर बदल गया , इंसानों की तरह.!!
Tag: शर्म शायरी
साथ थे तो शहर
साथ थे तो शहर छोटा था.. बिछडे तो गलिया भी लम्बी लगने लगी….
बस दिलों को जीतना ही
बस दिलों को जीतना ही जिंदगी का मकसद रखना वरना दुनिया जीतकर भी सिकंदर खाली हाथ ही गया…
हमारी उम्र नहीं थी
हमारी उम्र नहीं थी इश्क़ करने की बस तुम्हे देखा और हम जवां हो गए
ज़मीं से हमें आसमाँ पर
ज़मीं से हमें आसमाँ पर बिठा के गिरा तो न दोगे अगर हम ये पूछें कि दिल में बसा के भुला तो न दोगे|
हमने आज खुद को
हमने आज खुद को आज़माने की कोशिश की, मोहब्बत से दिल को बचाने की कोशिश की.
हैं तो रिमझिम..
हैं तो रिमझिम.. फुहार से… जनाब की यादें.. मगर मूसलाधार हैं…
याद कर लेना मुझे
याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो चले आएंगे इक आवाज़ में भले हम ख़ास न हों..
हम दिलफेक आशिक़ है
हम दिलफेक आशिक़ है, हर काम में कमाल कर दे क्या जरुरत है जानू को लिपस्टिक लगाने की हम चूम के ही होंठ उसके लाल कर दे
रात तो इसी कशमकश
रात तो इसी कशमकश में गुजर जाएगी…. तेरी याद जाएगी तभी शायद नींद आएगी।