मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते या तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ दे .!
Tag: शर्म शायरी
मुवाबजे की अर्ज़ी
हमने मुवाबजे की अर्ज़ी डाली है साहब.. उनकी याद की बारिश ने खूब तबाह किया भीतर तक ।।
धड़कन नहीं रूकती
हर किसी के नाम पर धड़कन नहीं रूकती है धड़कन के भी अपने उसूल होते है………!!
मुद्तों के बाद
मुद्तों के बाद उसको किसी के साथ खुश देखा तो एहसास हुआ … काश की उसको बहुत पहले हे छोड़ दिया होता ..
पाँव सूख हुए
पाँव सूख हुए पत्तों पर अदब से रखना, माँगी थी धूप में तुमने पनाह इनसे कभी…
ईमान बिकता हे
ईमान बिकता हे ओरते बिकती हे बड़ी अजीब है दुनिया की ये दुकाँ यारो
दिल का झुकना
दिल का झुकना बहुत ज़रूरी है सर झुकाने से रब नहीं मिलता………..
उर्दू न समझी
उन्होंने उर्दू न समझी न पढ़ी उनका उर्दू पे ये एहसान रहा ऐसे हालात में कह पाना ग़ज़ल यक़ीनन सख़्त इम्तेहान रहा
रोज के मिलने में
हर रोज के मिलने में तकल्लुफ़ कैसा, चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है….!!!
बर्फ से पुछा
कीसी ने बर्फ से पुछा की, आप इतने ठंडे क्युं हो ? बर्फ ने बडा अच्छा जवाब दिया :- ” मेरा अतीत भी पानी; मेरा भविष्य भी पानी…” फिर गरमी किस बात पे रखु ??