दोस्तों आज तो खुद ही रोया और रो के चुप भी हो गया, सोचा अगर वो अपना मानती तो यू रोने न देती…
Tag: व्यंग्य
किसी के पास
जाने क्यों अधूरी सी रह गई है जिंदगी लगता है जैसे खुद को किसी के पास भूल आए..
अच्छे तो जख्म हैं
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ..
मेरे ही खून में
डूबी है मेरी उंगलियाँ मेरे ही खून में, ये काँच के टुकड़ों पर भरोसे की सज़ा है…
यादें बहुत मशरूफ
नहीं फुरसत यकीन मानो कुछ और करने की तेरी बातें , तेरी यादें बहुत मशरूफ रखती हैं|
कौन कहता है कि दूरियां
कौन कहता है कि दूरियां किलोमीटरों में नापी जाती हैं। खुद से मिलने में भी उम्र गुज़र जाती है।
तू जरुरी सा
तू जरुरी सा है मुझको जिन्दा रहने के लिए|
चुप रहते हैं
तुम याद भी आओ तो चुप रहते हैं, कि आँखों को खबर हुई तो बरस जाएंगी…
आसान नहीं है
इतना आसान नहीं है, जीवन का हर किरदार निभा पाना, इंसान को बिखरना पड़ता है, रिश्तों को समेटने के लिए।
अफसोस होता है
अफसोस होता है उस पल जब अपनी पसंद को कोई और चुरा लेता है, ख्वाब हम देखते है और हकीकत कोई और बना लेता है…