मेरी आवारगी में कुछ कसूर तुम्हारा भी है…. ऐ जालिम… जब तुम्हारी याद आती है तो घर अच्छा नही लगता…!!
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कहाँ तलाश करोगे तुम
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा.., जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!
हल कर दिया
इश्क़ बोझिल हुआ जा रहा था तुमने दिल से निकालकर मसला ही हल कर दिया
गलतियों की होती है
माफ़ी गलतियों की होती है धोख़े की नही..!!
कोई ढूंढता है कलमे
कोई ढूंढता है कलमे, चरागों की आड़ में कोई मांग रहा माचिस, फ़साने जलाने को…
चेहरों के लिए आईने
चेहरों के लिए आईने क़ुर्बान किये हैं , इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं ।महफ़िल में मुझे गालियां देकर है बहोत खुश , जिस शक्श पे मैंने बड़े बड़े एहसान किये हैं !!
हमने कहा कुछ पुराने
किसी ने पूछा कौन याद आता है, अक्सर तन्हाई में हमने कहा कुछ पुराने रास्ते, खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें
खामोश हो गए..
बार बार खामोशी की वजह पूछ रहे थे वो “वजह बताई तो वो खुद ही खामोश हो गए..
याद न आया करो
इतना याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें। सुबह को सुख आँखों का सबब पूछते हैं लोग।
दुनियां का तलबगार
एक तुम ही मिल जाती,इतना काफ़ी था..सारी दुनियां का तलबगार नहीं था मैं…!!