बेवजह उदास रहते हो मियाँ… तुम्हारे घर से तो मयखाने का फासिला कम है..
Tag: वक्त शायरी
यों ही बदनाम
लोग यों ही बदनाम करते हैं ज़रूरतमंदों को, हमने अक्सर अमीरों को गरीबो की मेहनत चुराते देखा हैं।
तेरे दिल मे
कोई तो बात हैं तेरे दिल मे, जो इतनी गहरी हैं कि… तेरी हँसी, तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती…
दिन मेँ रौशनदान
उसने अपनी झोपड़ी का छप्पर कुछ इस प्रकार खोल रखा है… कि यही दिन मेँ रौशनदान और रात मेँ उसका पंखा है…
चलो शुरू करते हैं
चलो शुरू करते हैं वो हसीन साथ आज फिर से और कसम खाते हैं ना खाएंगे निभाने की कसम।
किस्से तो मेरे
किस्से तो मेरे सरेआम मशहूर है दिल लगी के….. पर दिल ये नादान किस्सों पे नहीं तुझपे मरता है।।
ना दिल से होता है
ना दिल से होता है, ना दिमाग से होता है; ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़ से होता है; पर प्यार करके प्यार ही मिले; ये इत्तेफ़ाक़ भी किसी-किसी के साथ होता है।
बिना मतलब के
बिना मतलब के दिलासे भी नहीं मिलते यहाँ , लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं !
भले थे तो
भले थे तो किसी ने हाल त़क नहीं पूछा, बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं !!!
लोग उतनें ही
जितनी भीड़ , बढ़ रही ज़माने में । लोग उतनें ही, अकेले होते जा रहे हैं…!