ज़रा अल्फ़ाज़ के

ज़रा अल्फ़ाज़ के नाख़ून तराशों बहुत चुभते है……. जब नाराज़गी से बातें करती हो….!!

पूछ लेते वो

पूछ लेते वो बस मिजाज मेरा कितना आसान था इलाज मेरा |

तलाश तो सिर्फ

तलाश तो सिर्फ सुकून की होती है.. नाम रिश्तों का चाहे कुछ भी रख लो..

आओ मिलकर ढूंढ ले

आओ मिलकर ढूंढ ले वजह, फिर से एक हो जाने की.. यूँ एक-दूसरे से बिछड़कर, ना तुम अच्छे लगते हो और ना हम..

पता नही होश मे हूँ

पता नही होश मे हूँ या बेहोश हूँ मैं.. पर बहूत सोच समझकर खामोश हूँ मैं..

नींदें छीन रखी है

नींदें छीन रखी है तेरी यादों ने . गिला तेरी दुरी से करें या अपनी चाहत से..

दीवानगी के लिए

दीवानगी के लिए तेरी गली मे आते हैं.. वरना.. आवारगी के लिए सारा शहर पड़ा है..

तोड़ दो ना वो कसम

तोड़ दो ना वो कसम जो खाई है, कभी कभी याद कर लेने में क्या बुराई है..

दर्द से मेरा

दर्द से मेरा दामन भर दे फिर चाहे दीवाना कर दे|

अभी तो साथ चलना है

अभी तो साथ चलना है समंदरों की लहरों मॆं . . . किनारे पर ही देखेंगे… किनारा कौन करता है?

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