डूबे हुए तारों का,ये मातम नहीं करती चढ़ते हुए सूरज की परस्तार है दुनिया
Tag: पारिवारिक शायरी
भाई की खुशियों के लिये
फोड़ देती है अपना गुल्लक भी भाई की खुशियों के लिये भगवान के अलावा बहनें भी मनोकामना पूर्ण करती है !!!
आपको गिरने का डर नही लगता ?
परिन्दे से किसी ने पूछा,, “आपको गिरने का डर नही लगता ? परिन्दे ने क्या गजब का जवाब दिया, ”मै इन्सान नही जो ज़रा सी ऊँचाई पा कर अकड़ जाऊ।।
चलनें दो ज़रा आँधियाँ
चलनें दो ज़रा आँधियाँ हकीकत की… न जाने कौन से झोंकें में अपनों के मुखौटे उड़ जाए…
जीवन शतरंज के खेल की तरह है
जीवन शतरंज के खेल की तरह है और यह खेल आप ईश्वर के साथ खेल रहे है…., आपकी हर चाल के बाद, अगली चाल वो चलता है…. आपकी चाल आपकी “पसंद” कहलाती है.., और.., उसकी चाल “परिणाम” कहलाती है….
मासूमियत
मासूमियत का इससे पवित्र प्रमाण कहीं देखा है ???? एक बच्चे को उसकी माँ मार रही थी और बचाने के लिये बच्चा माँ को ही पुकार रहा था…
लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता
लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता बस उसका जंग….. उसे नष्ट करता है, इसी तरह आदमी को भी कोई और नहीं बल्कि उसकी सोच….. ही नष्ट कर सकती है!!
मौत ऐसी होनी चाहिए
पैदा तो सभी मरने के लिये ही होते है पर, मौत ऐसी होनी चाहिए जिस पर जमाना अफसोश करे.
आप कितने श्रेष्ठ हो
रुतबा पद या पेसे से ये तय नही होता के आप कितने श्रेष्ठ हो, बल्कि आपके आचार विचार ओर व्यवहार तय करता है के आप कितने श्रेष्ठ हो
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ , पर आज भी अनुभव के मामले मे मैं उनके घुटनो तक ही आता हूँ ।