सब्र तहज़ीब है मुहब्बत की और तुम समझते रहे बेज़ुबान हैं हम
Tag: दर्द शायरी
बर्बाद-ए-दिल
मिट गई बर्बाद-ए-दिल की शिकायत दोस्तों…! अब गुलिस्ताँ रख दिया है मै ने वीराने का नाम
लोगों की बातें सुनकर
लोगों की बातें सुनकर,,मुझे छोड़ जाने वाले… हम कितने बुरे थे, तुम पता तो कर लेते!
पहचान की नुमाईश
पहचान की नुमाईश जरा कम करो यारों … जहाँ भी “मैं” लिखा है उसे “हम” करो यारों
तुम आते थे
तुम आते थे बहार आती थी एक एक लम्हा महका जाती थी अब तुम जो नही हो तुम्हारी यादें आती हैं दिल के ज़ख़्मों को कुरेद जाती हैं
उनके ही नसीब में
ठंडी रोटी अक्सर उनके ही नसीब में होती है जो अपनों के लिए कमाई करके देर से घर लौटते हैं..
मुझ से पत्थर
मुझ से पत्थर ये कह कह के बचने लगे.. तुम ना संभलोगे ठोकरें खा कर ..
वहाँ तूफान भी
वहाँ तूफान भी हार जाते है… जहाँ कश्तियाँ ज़िद पे होती है |
तू जाहिर है
तू जाहिर है……लफ्जो में मेरे मैं गुमनाम हूँ….खामोशियों में तेरी..!!!
कही होकर भी
कही होकर भी नहीं हूँ, कहीं न होकर भी हूँ। बड़ी कशमकश में हूँ कि कहाँ हूँ और कहाँ नहीं हूँ।