डूब कर सूरज ने

डूब कर सूरज ने मुझे और भी तनहा कर दिया । मेरा साया भी अलग हो गया मेरे अपनों की तरह

छोड़ देते है

छोड़ देते है लोग रिश्तें बनाकर…. जो कभी ना छूटे वो साथ हूँ मैं|

दूर – दूर भगते फिरें

दूर – दूर भगते फिरें, जो हैं ख़ासम – ख़ास। सभी व्यंजनों की हुई, गायब आज मिठास।।

दर्द बहुत वफ़ादार होता है

दर्द बहुत वफ़ादार होता है… काश इसे देने वाले में भी ये बात होती…

क्या पूछता है

क्या पूछता है हम से तू ऐ शोख़ सितमगर, जो तू ने किए हम पे सितम कह नहीं सकते…

जो गुज़ारी न जा सकी

जो गुज़ारी न जा सकी हम से, हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है…

नींदों ही नींदों में

नींदों ही नींदों में उछल पड़ता है, रात के अँधियारे में चल पड़ता है! मन से है वो बड़ा ही नटखट चंचल, जिस किसी को देखा मचल पड़ता है! ऐ नींद ! ज़रा देर से आया करो, रात को भी काम में खलल पड़ता है! कभी रहते थे जहाँ राजा-रानियाँ, वहाँ जालों से अटा महल… Continue reading नींदों ही नींदों में

रिश्ते संजोने के लिए

रिश्ते संजोने के लिए मैं झुकता रहा, और लोगों ने इसे मेरी औकात समझ लिया…

घोलकर जहर खुद ही

घोलकर जहर खुद ही हवाओं में हर शख्स मुँह छुपाए घूम रहा है|

कोई खो के मिल गया

कोई खो के मिल गया तो कोई मिल के खो गया… ज़िंदगी हम को बस ऐसे ही आज़माती रही …!!

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