स्याही थोड़ी कम पड़ गई, वर्ना किस्मत , तो अपनी भी खूबसूरत लिखी गई थी।
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आज भी रखते हैं
आज भी रखते हैं हम साँसों में उनको शामिल, जो भूल गया हमारे सीने को रवानी देकर |
मुहँ खोलकर तो
मुहँ खोलकर तो हँस देता हूँ मैं हर किसी के साथ….. लेकिन दिल खोलकर हंसे मुझे ज़माने गुज़र गए !!
अगर प्यार है
अगर प्यार है तो शक़ कैसा अगर नहीं है तो हक़ कैसा..
जब मैं लिखूँगा
जब मैं लिखूँगा दास्ताने जिदंगी तो, सबसे अहम किरदार तुम्हारा ही होगा।
इश्क़ लाजवाब है
यकीनन इश्क़ लाजवाब है, पर तुम से थोडा कम है।।
मेरा होकर भी
मेरा होकर भी गैर की जागीर लगता है,दिल भी साला मसला-ऐ-कश्मीर लगता है…
चल हो गया
चल हो गया फ़ैसला कुछ कहना ही नहीं, तू जी ले मेरे बग़ैर मुझे जीना ही नहीं।।
मुफ्त में नहीं आता
मुफ्त में नहीं आता, यह शायरी का हुनर…. इसके बदले ज़िन्दगी हमसे, हमारी खुशियों का सौदा करती है…!!
जो मिलते हैं
जो मिलते हैं, वो बिछड़ते भी हैं, हम नादान थे…!! एक शाम की, मुलाकात को, जिंदगी समझ बैठे…!!