प्यार की फितरत भी

प्यार की फितरत भी अजीब है यारों….. जो रुलाते हैं बस उन्हीं को गले लगाकर रोने का दिल करता है।।

हर धड़कते पत्थर को

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में…

कभी जो काटती थी

कभी जो काटती थी नोचती थी शाम से मुझको, कलम से मैं उन्ही तन्हा‌इयों की बात करता हूँ..

उससे खफा होकर

उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है..

सितारे सा टूट कर

सितारे सा टूट कर गिरूँगा कहीं एक दिन,पर तेरी सारी ख्वाहिशें पूरी करके जाऊंगा|

चुभते हुए ख्वाबों से

चुभते हुए ख्वाबों से कह दो की अब आया ना करे.. हम तन्हा तसल्ली से रहते है बेकार उलझाया ना करे..।।

मेने कहा था न…

मेने कहा था न…की मुझे अपने दिल में ही रहने दो,बेघर बच्चा…. आवारा हो जाता हे!!

बैठे थे अपनी मस्ती में

बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे, आकर तेरे ख़्याल ने,अच्छा नहीं किया…

ज़माना हो गया

ज़माना हो गया बिस्मिल, तेरी सीधी निगाहों पे , खुदा ना ख्वास्ता, तिरछी नज़र होती, तो क्या होता !!!

उससे खफा होकर

उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है..

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