अब में क्यों तुझे

अब में क्यों तुझे प्यार करता हूँ… जब तेरे शहर से गुज़रता हूँ…

वो घडी आई…

आखिर कार वो घडी आई… बार-ऐ-बार हो गए रक़ीब मेरे…

जरूरी नहीं की

जरूरी नहीं की हर बात पर तुम मेरा कहा मानों, दहलीज पर रख दी है चाहत, आगे तुम जानो….

कुछ दिन से

कुछ दिन से मैंने दर्द की बात नही की … दुनिया समझ रही हैं बहुत खुश हूं मैं …

शिकायतो की पाई पाई

शिकायतो की पाई पाई जोड़ कर रखी थी मैंने !उसने गले लगा कर.. सारा हिसाब बिगाड़ दिया ||

अपनी तकदीर में

अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया; तो किसी ने अपना बनाकर ‘वक़्त’ गुजार लिया!

दर्द की एक बाढ़

दर्द की एक बाढ़ यूँ हमको बहा कर ले गई… या तो हम चीख़े नहीं या वक़्त ही बहरा रहा…

सुना है तुम ले लेती हो

सुना है तुम ले लेती हो हर बात का बदला.. आजमाएंगे कभी तुम्हारे होठो को चूम कर..

याद है मुझे वो चार पल

याद है मुझे वो चार पल की महोब्बत, किसी ने हम पर भी एहसान किया था !!

मत पूछों मुझसे

मत पूछों मुझसे मोहब्बत का हिसाब, मैंने कतरों-कतरों में समन्दर बहाया है…

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