हमने सोचा था दो चार दिन की बात होगी पर तेरी यादों से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया…
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वो हवा थी
वो हवा थी बहती गई, मैं बारिश था, ज़मीं में समा गया..
तसव्वुर ख्वाब दरवाज़े..
तसव्वुर ख्वाब दरवाज़े..दरीचे कितने रास्ते हे तुम आओ तो सही
कौन कहता है
कौन कहता है तुझे मैंने भुला रक्खा है तेरी यादों को कलेजे से लगा रक्खा है लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं दिल ने हर राज़ मुहब्बत का छुपा रक्खा है तूने जो दिल के अंधेरे में जलाया था कभी वो दिया आज भी सीने में जला रक्खा है देख जा… Continue reading कौन कहता है
सुना है इस खेल में
सुना है इस खेल में सबके सर जाते हैं, इश्क में इतना ख़तरा है तो हम घर जाते हैं…
आखों की ख्वाहिशों को
आखों की ख्वाहिशों को हर वक़्त दरकिनार किया, ये सोचकर कि खुदा देखा नहीं पूजा जाता है।
मेरी ज़िन्दगी में
मेरी ज़िन्दगी में तेरी याद भी उसी तरह है, जैसे सर्दी की चाय में अदरक का स्वाद|
एक नींद है
एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आती, और एक जमीर है जो हर वक़्त सोया रहता है।
हवाए हड़ताल पर है
हवाए हड़ताल पर है शायद, आज तुम्हारी खुशबू नहीं आई..
इस खामख्याली में
इस खामख्याली में, मगरूर वो रहते हैं… सब हुनर उन्हीं के हैं, हर ऐब हमारा है….