पसंद करने लगे हैं

पसंद करने लगे हैं अब शायरी मेरी मतलब मुहब्बत सिर्फ मैंने ही नहीं की।

खुदा की बंदगी

खुदा की बंदगी शायद अधूरी रह गयी,तभी तेरे मेरे दरमियाँ ये दूरियाँ रह गयी|

यकीन नहीं होता

तुम्हारे लिये मिट जाने का इरादा था .. तुम ही मिटा दोगे….. यकीन नहीं होता

kitaab hain zindagi

Lamho ki ek kitaab hain zindagi, Saanso aur khyalo ka hissab hai zindagi Kuch jarurate puri kuch khwaishe aduri Bas inhi sawalon ka jawab hain zindagi.

कह दो अंधेरों

कह दो अंधेरों से कही और घर बना लें, मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है.

जरूरतें भी जरूरी हैं

जरूरतें भी जरूरी हैं जीने के लिये …..लेकिन … तुझसे जरूरी तो जिंदगी भी नही……..

आज दिल में एक

आज दिल में एक अजीब सा दर्द है मेरे मौला । ये तेरी दुनिया है! तो यहाँ इंसानियत क्यों मरी है।

एक उसूल पर

एक उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंनें, जिसको अपना माना उसे कभी परखा नही..

ये जो खामोश से

ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना, पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल के हैं..

त्यौहार के बहाने

त्यौहार के बहाने ही सही… रिश्ते घर तो लौट आते है..

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