खामोश चहरे पर हजारो पहरे होते है, हँसती आँखों में भी जख्म गहरे होते है, जिनसे अक्सर रूठ जाते है हम, असल में उनसे ही रिश्ते ज्यादा गहरे होते है . ये दोस्ती का बंधन भी बडा अजीब है… मिल जाए तो बातें लंबी…. बिछड जाए तो यादें लंबी….।
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ये बारिश भी तुम सी है!
ये बारिश भी तुम सी है, जो थम गई तो थम गई।। जो बरस गई तो बरस गई, कभी आ गई यूँ बेहिसाब।। कभी थम गई बन आफताब, कभी गरज गरज कर बरस गई ।। कभी बिन बताये यूँ ही गुज़र गई कभी चुप सी है कभी गुम सी है ये बारिश भी सच… तुम… Continue reading ये बारिश भी तुम सी है!
झूठ बोलते थे कितना,फिर भी सच्चे थे
झूठ बोलते थे कितना,फिर भी सच्चे थे हम.. ये उन दिनों की बात है,जब बच्चे थे हम…!!
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी…
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी… बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं…
किराए की साइकिल
एक दो रूपये देकर किराए की साइकिल चलाने का सुख, तुम क्या जानो पल्सर वाले बाबू।
मुझे दोस्तों के साथ देखकर लौट जाते है गम!
मुझे दोस्तों के साथ देखकर लौट जाते है गम, कहते है, “इस का कुछ बिगाड नहीं सकते हम!
लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ।
माँ लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ। दुःख थे पर्वत, राई माँ हारी नहीं लड़ाई माँ। इस दुनिया में सब मैले हैं, किस दुनिया से आई माँ। दुनिया के सब रिश्ते ठंडे, गरमागर्म रजाई माँ। जब भी कोई रिश्ता उधड़े, करती है तुरपाई माँ। बाबू जी तनख़ा लाए बस, लेकिन बरक़त लाई माँ। बाबूजी के पांव दबा कर, सब तीरथ हो आई माँ।… Continue reading लेती नहीं दवाई माँ, जोड़े पाई-पाई माँ।
तुम पे लिखना शुरु कहा से करु
तुम पे लिखना शुरु कहा से करु, अदा से करु या हया से करु, तुम सब कि दोस्ती इतनी खुबसुरत है, पता नही कि तारिफ जुबा से करु या दुवाओं से करु…
न सफारी में नज़र आयी और न ही फरारी में
न सफारी में नज़र आयी और न ही फरारी मेँ…… जो खुशी बचपन मेँ साइकिल की सवारी में नज़र आयी।
बचपन भी कमाल का था।
बचपन भी कमाल का था। खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी ..!!