कभी कभी हमारी

कभी कभी हमारी सिर्फ एक गलती, हजारों ग़लतफ़हमियाँ पैदा कर देती है|

जिसे हम सबसे ज्यादा

जिसे हम सबसे ज्यादा चाहते है, उसीमें सबसे ज्यादा ताकत होती है, हमें रुलाने की…

वो मेरी तन्हाइयों का

वो मेरी तन्हाइयों का हिसाब क्या देगी, जो खुद ही सवाल है वो जवाब क्या देगी..

मेरे बारे में

मेरे बारे में कोई राय न बनाना ग़ालिब मेरा वक़्त भी बदलेगा और तेरी राय भी !!!!

हम वो हैं

हम वो हैं जो खुदा को भूल गये, तू मिरी जान किस गुमान में है..?

हमसे मुकम्मल हुई

हमसे मुकम्मल हुई ना कभी, ए जिन्दगी तालीम तेरी…। शागिर्द कभी हम बन न सके, और उस्ताद तूने बनने ना दिया ।।

कदर होती है

कदर होती है इंसान की जरुरत पड़ने पर ही. बिना जरुरत के तो हीरे भी तिजोरी में रहते है |

हमारी उनसे ऐसे भी

हमारी उनसे ऐसे भी होती हैं बातें.. ना वो बोलते हैं ना हम बोलते हैं….!

याद करते हो

याद करते हो मगर ज़ाहिर नहीं करते, कितना डरते हो तुम अपने आप से !!

मेरी खामोसी देखकर

मेरी खामोसी देखकर मुझसे ये ज़माना बोला तेरी संजीदगी बताती हे तुझे हँसने का शौक़ रहा होगा कभी..!!

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