जब छोड़ गए सब तब मिला मुझे रब|
Tag: शर्म शायरी
गलियों में चाहे
आयेंगे तेरी गलियों में चाहे देर क्यू न हो जाये… करेंगे मोहब्बत तुझी से चाहे जेल क्यू न हो जाय
छोड़ तो सकता हूँ
छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे.. वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है..!!!
तेरी चाहत का
तेरी चाहत का ऐसा नशा चढ़ा है, की शायरी हम लिखते है, और दर्द पुरे मेंबर सहते हैं।
सौदेबाजी का हुनर
सौदेबाजी का हुनर कोई उनसे सीखे, गालों का तिल दिखा कर सीने का दिल ले गयी।
झूठ बोलता होगा
झूठ बोलता होगा चाँद भी.. रुठकर यूँ ही तो नहीं टूट जाते तारे…
आग में ठंडक
किसी को आग में ठंडक, कोई पानी में जलता है, किसी के पाँव बहके हैं, कोई घुटनों से चलता है…
कुल्हाड़ी के लोहे में
उस कुल्हाड़ी के लोहे में उसी का एक टुकडा पिरोया था… वो पेड़ जब कटा,बहुत रोया था..
दिल बहलाने के लिये
दिल बहलाने के लिये ही गुफ्तुगू कर लिया करो जनाब, मालूम तो मुझे भी है के हम आपको अच्छे नही लगते
हम ज़िंदा हैं।
हम आते हैं महफ़िल में तो सिर्फ एक वजह से, ताकि यारों को खबर रहे की अभी हम ज़िंदा हैं।