चढ़ने दो अभी

चढ़ने दो अभी और ज़रा वक़्त का सूरज हो जायेंगे छोटे जो अभी साये बड़े हैं ।

इन्तजार करना जानते

जो सब्र के साथ इन्तजार करना जानते हैं, उनके पास हर चीज किसी न किसी तरीके से पहुंच जाती है ।।

भरे बाज़ार से

भरे बाज़ार से अक्सर मैं खाली हाथ लौट आता हूँ.. पहले पैसे नहीं हुआ करते थे, अब ख्वाहिशें नहीं रहीं….

चलो फिर से

चलो फिर से कहीं दिल लगा लेते हैं ,… … सुना है अच्छे दिन आने वाले हैं ।

ज़िन्दगी तो अपने

ज़िन्दगी तो अपने ही दम पे जी जाती है यारों किसी के सहारे से तो जनाज़े उठा करते हैं

कुछ सालों बाद

कुछ सालों बाद ना जाने क्या होगा, ना जाने कौन दोस्त कहाँ होगा… फिर मिलना हुआ तो मिलेगे यादों में, जैसे सूखे हुए गुलाब मिले किताबों में.

वो पूछते हैं

वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा, मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो.

वो शक्स रोज

वो शक्स रोज देखता है डूबते हुये सूरज को काश हम भी किसी शाम का मंजर होते

Exit mobile version