जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है, बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!

कौन कहता है

कौन कहता है दुनिया में हमशक्ल नहीं होते देख कितना मिलता है तेरा “दिल” मेरे “दिल’ से.!

पता नही होश मे हूँ….

पता नही होश मे हूँ….. या बेहोश हूँ मैं….. पर बहूत सोच ……. समझकर खामोश हूँ मैं.

अगर तू आंसू है

अगर तू आंसू है तो फिर….. मेरा भी रोना जरूरी है….

तुझे तो मिल गये

तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी, लेकिन…..मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती है….!!

जो दिल की गिरफ्त में

जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है, मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है, किसी और की बात रास नहीं आती, दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है, मानता है बस दलीले उनकी, ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है, यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है, कि अपनी खैरियत भूल कर… Continue reading जो दिल की गिरफ्त में

छलका तो था

छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!! कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!

जिसे शिद्दत से चाहो

जिसे शिद्दत से चाहो , वो मुद्दत से मिलता है , बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई शिद्दत सै चाहने वाला |

ख़त जो लिखा मैनें

ख़त जो लिखा मैनें इंसानियत के पते पर ! डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते !

रात भर चलती रहती है

रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर, किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया|

Exit mobile version