रोया है बहुत

रोया है बहुत तब जरा करार मिला है; इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है; गुजर रही है जिंदगी इम्तिहान के दौर से; एक ख़तम तो दूसरा तैयार मिला है।

क़ब्र की मिट्टी

क़ब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूँ; लोग मरते हैं तो ग़ुरूर कहाँ जाता है।

सबके कर्ज़े चुका दूँ

सबके कर्ज़े चुका दूँ मरने से पहले, ऐसी मेरी नीयत है; मौत से पहले तू भी बता दे ज़िंदगी, तेरी क्या कीमत है।

वो रोए तो बहुत पर

वो रोए तो बहुत पर मुझसे मुंह मोड़कर रोए; कोई मजबूरी होगी तो दिल तोड़कर रोए; मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े; पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए!

उसको चाहा पर

उसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आया; कट गई उम्र हमें प्यार करना नहीं आया; उसने कुछ माँगा भी तो मांगी जुदाई और हमें इंकार करना नहीं आया।

जिसने हमको चाहा

जिसने हमको चाहा, उसे हम चाह न सके; जिसको चाहा उसे हम पा न सके; यह समझ लो दिल टूटने का खेल है; किसी का तोडा और अपना बचा न सके।

जा रहा हूँ

जा रहा हूँ तेरा शहर छोडकर लेकिन इतना जरुर कहूँगा तुम ही थे इस दिल में तुम ही धड्कोगे मेरी इन धडकनों में…!!

जाते वक़्त उसने

जाते वक़्त उसने बड़े गुरूर से कहा था, तुझ जैसे लखो मिलेंगे, मैने मुश्कुराके के पूछा, मुझ जैसे की तलाश ही क्यू|

लोग कहते है

लोग कहते है दिल पत्थर है मेरा; इसलिए इसे पिघलना नही आता! अब क्या कहूँ क्या आता है, क्या नही आता; बस मुझे मौसम की तरह, बदलना नही आता!

रास्ता सुझाई देता है

रास्ता सुझाई देता है, न मंजिल दिखाई देती है, न लफ्ज़ जुबां पर आते हैं, न धड़कन सुनाई देती है, एक अजीब सी कैफियत ने आन घेरा है मुझे, की हर सूरत में, तेरी सूरत दिखाई देती है…

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