हालातों ने सच में सोच कितनी बदल दी हम सब की कि जिस पर नज़र जाती है शक़ की निगाह ही जाती है ।
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सौ गुना बढ़ जाती है
सौ गुना बढ़ जाती है ख़ूबसूरती, महज मुस्कुराने से; ?? फिर भी बाज़ नहीं आते लोग, बुरा सा मुँह बनाने से।
दो गज से ज़रा
दो गज से ज़रा ज़्यादा जगह देना कब्र में मुझे…. कि किसी की याद में करवट बदले बिना मुझे नींद नहीं आती…..
इतना आसान नहीं
इतना आसान नहीं तस्वीर बनाना , कौन आँखों की उदासी को दिखा पाएगा…!!!”
आहिस्ता चल ज़िंदगी
आहिस्ता चल ज़िंदगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है. कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है…..
एक ही गलती
एक ही गलती हम सारी उम्र करते रहे; धूल चेहरे पे थी; और हम आइना साफ़ करते रहे!
दर्द इतना था
दर्द इतना था ज़िन्दगी में की; धड़कन भी साथ देने से घबरा गयी!
हंसने के बाद
हंसने के बाद क्यों रुलाती है दुनिया; जाने के बाद क्यों भुलाती है दुनिया; जिंदगी में क्या कोई कसर बाकी है; जो मर जाने के बाद भी जलाती है दुनिया।
मैं तो इस वास्ते
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ…के तमाशा ना बने, और वो सोचते है , मुझे गिला कुछ भी नहीं|
बड़ी हसरत से
बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई, कल शाम मेरे शहर से आंधी । वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं, जिनमे हुनर था थोडा झुक जाने का ।