माँ बाप को ही गर दे दिया,उसने उलट जवाब तो फिर उसका व्यर्थ है,पढना चार किताब…!!
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माँ के पैरो से
न अपनों से खुलता है, न ही गैरों से खुलता है. ये जन्नत का दरवाज़ा है, माँ के पैरो से खुलता है.!!
जिस का अंत नहीं
ऊपर जिस का अंत नहीं उसे आसमान कहते है, जहान में जिस का अंत नहीं उसे माँ कहते है
माँ के प्यार में
दौलत छोड़ी दुनिया छोड़ी सारा खज़ाना छोड़ दिया; माँ के प्यार में दीवानों ने राज घराना छोड़ दिया; . दरवाज़े पे जब लिखा हमने नाम अपनी माँ का; मुसीबत ने दरवाज़े पे आना छोड़ दिया।
उठाया गोद में
बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ, उठाया गोद में माँ ने तब आसमान छुआ
ख़ामोशी से भी
ख़ामोशी से भी नेक काम होते हैं, मैंने देखा है पेड़ों को छाँव देते हुए..
कुछ तो संभाल के
कुछ तो संभाल के रखती , देखो मुझे भी खो दिया तुमने….
कोई पुरानी तमन्ना
आँखों से पानी गिरता है , तो गिरने दीजिये… कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी…
कम बिकता हूं
छोटे शहर के अखबार जैसा हूं मैं,, दिल से लिखता हूं, शायद इसलिए कम बिकता हूं..!
मासूमियत खो दी है
फरेबी हूँ, जिद्दी हूँ, और पत्थर दिल भी हूँ , मासूमियत खो दी है मैंने, वफा करते करते….