मिल सके आसानी से

मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!

रौशनी में कुछ

रौशनी में कुछ कमी रह जाये तो बता देना..दिल आज भी हाज़िर है, जलने को…!!

हमने माना कि

हमने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन ख़ाक़ हो जायेंगे हम तुमको ख़बर होने तक

उतनी अक्ल आती है….

धोखा भी बादाम की तरह है जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है….

कभी निकलते थे

कभी निकलते थे घर से माँ के हाथ का खाना लेके… अब सड़क किनारे चाय तलाशती है जिन्दगी…

फुर्सत निकालकर आओ

फुर्सत निकालकर आओ कभी मेरी महफ़िल में…, लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में…

मुन्तज़िर हूँ कि

मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगे…. चाँद को छत पे बुला लूंगा इशारा करके….

जब तालीम का

जब तालीम का बुनियादी मकसद नौकरी का हासिल करना होगा, तो समाज में नौकर ही पैदा होंगे रहनुमा नहीं….

ये जो मैंने

ये जो मैंने ख़ुद को बदला है ये मेरा तुझसे बदला है|

दो ही गवाह थे

दो ही गवाह थे मेरी मोहब्बत के, वक़्त…और…. सनम… एक गुजर गया और दूसरा मुकर गया…..!

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