कभी कभी हमारी

कभी कभी हमारी सिर्फ एक गलती, हजारों ग़लतफ़हमियाँ पैदा कर देती है|

वो मेरी तन्हाइयों का

वो मेरी तन्हाइयों का हिसाब क्या देगी, जो खुद ही सवाल है वो जवाब क्या देगी..

हम वो हैं

हम वो हैं जो खुदा को भूल गये, तू मिरी जान किस गुमान में है..?

हमसे मुकम्मल हुई

हमसे मुकम्मल हुई ना कभी, ए जिन्दगी तालीम तेरी…। शागिर्द कभी हम बन न सके, और उस्ताद तूने बनने ना दिया ।।

हमारी उनसे ऐसे भी

हमारी उनसे ऐसे भी होती हैं बातें.. ना वो बोलते हैं ना हम बोलते हैं….!

याद करते हो

याद करते हो मगर ज़ाहिर नहीं करते, कितना डरते हो तुम अपने आप से !!

ये जो मेरे हालात है

ये जो मेरे हालात है वो सुधर जायेंगे.. लेकिन तब तक कई लोग मेरी नज़र से उतर जायेंगे ।

उम्र भर की

उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में.. एक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया

हुआ मैं जब से

हुआ मैं जब से अपने सच से वाक़िफ तभी से खुद को झूठा लग रहा हूँ ।

कोई तो टूटा हुआ

कोई तो टूटा हुआ होगा मेरी तरह ही, जो जुड़ने की ख्वाहिश लिए जी रहा होगा अकेला कहीं !!

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