इतिहास गवाह है, कि जब भी कोई नया साल आया है,, साल भर से ज्यादा नहीं टिक पाया है……..!
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सितम की रस्में
सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले; सज़ा खता-ए-नज़र से पहले, इताब ज़ुर्मे-सुखन से पहले; जो चल सको तो चलो के राहे-वफा बहुत मुख्तसर हुई है; मुक़ाम है अब कोई न मंजिल, फराज़े-दारो-रसन से पहले।
आदत सी है
आदत सी है पड़ गई , किया गया स्वीकार ! महँगाई मुद्दा नहीं , ना ही भ्रष्टाचार !!
रिश्ते संजोने के लिए
रिश्ते संजोने के लिए मैं झुकता रहा, और लोगों ने इसे मेरी औकात समझ लिया…
तुम लौट आना मेरी
तुम लौट आना मेरी आखिरी नज़्म की … आखिरी सांस से पहले….
घोलकर जहर खुद ही
घोलकर जहर खुद ही हवाओं में हर शख्स मुँह छुपाए घूम रहा है|
कुछ इस तरह
कुछ इस तरह लिपटा पड़ा है; तेरा साया मुझसे, सवेरा है फ़िर भी,,मैं अब तक; रात के आग़ोश में गुम हूँ.|
कोई खो के मिल गया
कोई खो के मिल गया तो कोई मिल के खो गया… ज़िंदगी हम को बस ऐसे ही आज़माती रही …!!
मेरी एक छोटी सी
मेरी एक छोटी सी बात मान लो, लंबा सफर है हाथ थाम लो…
जिनकी शायरियो में
जिनकी शायरियो में होती है सिसकिया, वो शायर नहीं किसी बेवफा के दीवाने होते है !