कभी जरूरत पड़े तो

कभी जरूरत पड़े तो आवाज दे देना हमें, मैं गुजरा हुआ वक्त नहीं जो वापस न आ सकूँ”…

बंद कर दिए हैं

बंद कर दिए हैं हम ने दरवाज़े इश्क के, पर तेरी याद है कि दरारों से भी आ जाती है|

कोई कितना भी

कोई कितना भी हिम्मत वाला क्युँ ना हो “साहिब”… रुला ही देती है किसी खास “इंसान” की कमी कभी_कभी …………….

टूट कर भी

टूट कर भी कम्बख्त धड़कता रहता है… मैने इस दुनिया मैं दिल सा कोई वफादार नहीं देखा..

एक बार भूल से

एक बार भूल से ही कहा होता की हम किसी और के भी है, खुदा कसम हम तेरे सायें से भी दूर रहते…

सजा देनी हमे भी

सजा देनी हमे भी आती है ‪… ओ बेखबर‬, पर तू तकलीफ से गुज़रे, ये हमे मंजूर नहीं

बड़ी अजीब सी

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी,,,,,पहले पागल किया,,,,,,, फिर पागल कहा…फिर पागल समझ कर छोड़ दिया….

वो भी शायद रो पड़े

वो भी शायद रो पड़े खाली कागज देख कर मैंने उसको आखरी खत में लिखा कुछ भी नही

उसने हमसे पुछा…

उसने हमसे पुछा…रह लोगे मेरे बिना..? साँस रुक गयी…. और उन्हें लगा कि…. हम सोच रहें हैं|

एहसास-ए-मोहब्बत में

एहसास-ए-मोहब्बत में बस इतना ही काफी है… तेरे बगैर भी तेरे साथ रहते हैं…

Exit mobile version