दुआ करो मैं

दुआ करो मैं कोई रास्ता निकाल सकूँ, तुम्हे भी देख सकूँ, खुद को भी सम्भाल सकूँ !!

कभी तुम हुए

कभी तुम हुए, कभी हम हुए, ज़माने में दो ही तो मौसम हुए ..

क्या लिखूँ दिल की

क्या लिखूँ दिल की हकीकत, आरज़ूएँ बेहोश हैं, ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है!

किश्तों में खुदकुशी

किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी, इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।

मैं उसका हाथ ही

मैं उसका हाथ ही थामे रहा… तो उसने कहा………. मेरे बदन में…. कमर… लब.. और कलाईयाँ भी हैं..

मिल सके आसानी से

मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं!!

रौशनी में कुछ

रौशनी में कुछ कमी रह जाये तो बता देना..दिल आज भी हाज़िर है, जलने को…!!

हमने माना कि

हमने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन ख़ाक़ हो जायेंगे हम तुमको ख़बर होने तक

उतनी अक्ल आती है….

धोखा भी बादाम की तरह है जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है….

कभी निकलते थे

कभी निकलते थे घर से माँ के हाथ का खाना लेके… अब सड़क किनारे चाय तलाशती है जिन्दगी…

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