खुद को ही खुद में

खुद को ही खुद में उलझा लिया मैंने.. मुझे वहम था, तुझे सुलझा लिया मैंने..

साहिब ए अकल

साहिब ए अकल हो तो एक मशविरा तो दो…. एहतियात से इश्क करुं या इश्क से एहतियात…..

कुछ रिश्तों को

कुछ रिश्तों को ता-उम्र तरसते रहे, कुछ लोग वक़्त से पहले बिछड़ गए|

आंसुओ को बहुत

आंसुओ को बहुत समझाया की तन्हाई में आया करो महफ़िल में हमारा मज़ाक न उडाया करो इस पर आंसू तड़प कर बोले इतने लोगो में आपको तन्हा पाते है इसलिए चले आते है|

होने को तो बहुत

होने को तो बहुत कुछ फिर से हो जाता है, लेकिन इश्क़ और इत्तेफ़ाक़ अक्सर नहीं हुआ करते !!

हो गए थे

हो गए थे जो कल शहीद वो सब तो आज भी जिंदा हैं लाशें तो वो हैं, जो शहादत पर शतरंज सजाये बैठे हैं ।

मैं जानता हूँ

मैं जानता हूँ कि रात तेरे कान भरती है पर क्या करूँ ये दिन बड़ा परेशान करते हैं ।

अब और ना मुझको

अब और ना मुझको तू उन पुराने किये हुए मेरे फिज़ूल से वादों का हवाला दे बंद कर बक्से में तेरी यादों को कर सकूँ काम अपने, तू बस ऐसा मज़बूत सा ताला दे|

वो शातिर है

वो शातिर है जानता है आदमी की जरूरतें क्या क्या हैं, सफ़ेद कुर्ते की इक जेब में रोटी तो दूसरी में रम रखता है ।

जिन सवालों के जवाब

जिन सवालों के जवाब नहीं होते वो सवाल, अच्छे सवाल नहीं होते|

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