कैसे अजीब क़िस्से हैं….

वक़्त के अपने भी कैसे अजीब क़िस्से हैं…. मेरा कटता नहीं .. और उनके पास होता नहीं

तू मिल मुझे रात के रस्ते

तू मिल मुझे रात के रस्ते मै ख्वाबों कों सजाता हूँ…! तू मौसम ईश्कनुमा करदे मोहोब्बत को मैं लाता हूँ…!

उसने पुछा के

उसने पुछा के सबसे ज्यादा क्या पसन्द है तुम्हे… हम बहुत देर तक उसे देखते रहे के शायद वो समझ जाये…

खुद ही रोये

खुद ही रोये और रो कर चुप हो गए… यही सोचकर की, काश कोई अपना होता तो रोने न देता …

जब से जुदा हुये है

जब से जुदा हुये है उनसे हम । दिल ने हमारा धड़कना छोड़ दिया ।। दीवाने कुछ ऐसे थे उनके प्यार में की । उनके जाने के बाद होटों ने मुस्कुराना छोड़ दिया ।

उसकी मोहब्बत भी

उसकी मोहब्बत भी बादलो की तरह निकली … छायी मुझ पर और बरस किसी और पर गयी …

खामोश बैठे हैं

खामोश बैठे हैं तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं; और ज़रा सा हंस लें तो लोग मुस्कुराने की वजह पूछ लेते है…

ख़ुशीयो का दौर भी

ख़ुशीयो का दौर भी आ जाएगा एक दिन, ग़म भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगैर ……

आईने के रूबरू

आईने के रूबरू क्या हुए वो चटक गया काजल हम ने लगाया नजर आईने को लग गई|

जो भी मर्जी हो

जो भी मर्जी हो वो करना बस इतना सुन लो , पा कर खोना आसां है खो कर पाना मुश्किल है |

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