मंजर भी बेनूर थे और फिजायें भी बेरंग थी , बस तुम याद आए और मौसम सुहाना हो गया..
Category: Mosam Shayri
मोहब्बत का शौक
मिलने लगे है रोज वो हमसे अजनबी बनकर .. लगता है फिर से मोहब्बत का शौक चढा है…!!.
बिगाड़ देती हैं
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं
सभाल लिया है
मन्जिले मुझे छोड़ गयी रास्तों ने सभाल लिया है..!! जा जिन्दगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया है.
कुछ तो जीते हैं
कुछ तो जीते हैं जन्नत की तमन्ना लेकर कुछ तमन्नायें जीना सिखा देती है हम किसके सहारे जीये ज़िन्दगी रोज एक तमन्ना बढा देती है।
Duniya to waise bhi
Dil bada rkhe duniya to waise bhi bahut chhoti hai……
उसने मेरे हाथ
उसने मेरे हाथ की लकीरें देखी और फिर हँस कर कहा…. तुझे ज़िन्दगी में सब कुछ मिलेगा एक मेरे सिवा….
इतना तो किसी ने
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा, जितना मैने सिर्फ सोचा है……
Koi muskurakar rakh
Koi muskurakar rakh gaya meri kabr’a par mohabbat ka phool; aaj ishq ki aankhon mein khumaar utar aaya hai
Tu wo zaalim
Tu wo zaalim hai jo dil mein rehkar bhi mera na ban saka aur dil wo kaafir, jo mujhme rehkar bhi tera ho gaya