हम भी ख़ामोश रहे

हम भी ख़ामोश रहे तुमने भी लब सी डाले दोनो चुप चाप सुलगते रहे तनहाँ तनहाँ|

कभी पिघलेंगे पत्थर भी

कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर, . . बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे….!!

जो जहर हलाहल है

जो जहर हलाहल है वो ही अमृत है नादान, मालूम नही तुझको अंदाज है पीने के ।।

सर क़लम होंगे

सर क़लम होंगे कल यहाँ उन के जिन के मुँह में ज़बान बाक़ी है|

क्या हो जब इश्क अकेलेपन से

क्या हो जब इश्क अकेलेपन से हो जाए.. साथ होना किसी का या ना होना इक सी बात हो जाए..!!

मौसम को इशारों से

मौसम को इशारों से बुला क्यूँ नहीं लेते रूठा है अगर वो तो मना क्यूँ नहीं लेते दीवाना तुम्हारा है कोई ग़ैर नहीं है मचला भी तो सीने से लगा क्यूँ नहीं लेते ख़त लिख कर कभी और कभी ख़त को जलाकर तन्हाई को रंगीन बना क्यूँ नहीं लेते तुम जाग रहे हो, मुझे अच्छा… Continue reading मौसम को इशारों से

इस तरह मिली वो मुझे

इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद, जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद, मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी, वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद|

कुछ लोग कहते है

कुछ लोग कहते है की बदल गया हूँ मैं, उनको ये नहीं पता की संभल गया हूँ मैं, उदासी आज भी मेरे चेहरे से झलकती है, पर अब दर्द में भी मुस्कुराना सीख गया हूँ मैं|

उठो तो ऐसे उठो

उठो तो ऐसे उठो, फक्र हो बुलंदी को भी..!! झुको तो ऐसे झुको, बंदगी भी नाज़ करे..!!!

बहुत अहसान है

बहुत अहसान है हम पर तुम्हारे,एक और कर देते “होकर हमारे”|

Exit mobile version