मैं अक्सर गुज़रता हूँ

मैं अक्सर गुज़रता हूँ उन तंग गलियों से, जिसके मुहाने पर एक सांवली लड़की जीवन के आख़िरी पलों में मेरा नाम पुकारती थी। मैं अक्सर होकर भी नहीं होता हूँ मैं अक्सर जीकर भी नहीं जीता,, मैं उसे अब कभी याद नही करता|

उनकी रहबरी के

उनकी रहबरी के काबिल नहीं हूँ मैं वरना यूं साथ क्यूँ छोड़ जाते वो…..

तुम्हे क्या पता

तुम्हे क्या पता कि जब मैं प्रेम में होता हूँ तो खुद से बहुत दूर होता हूँ।

अब लोग पूछते हैं

अब लोग पूछते हैं हमसे.. तुम कुछ बदल गए हो बताओ टूटे हुए पत्ते अब .. रंग भी न बदलें क्या..!!

उनका ईश्क चाँद जैसा था …

उनका ईश्क चाँद जैसा था … पुरा हुआ…तो घटने लगा…!!

चर्चाएं खास हो

चर्चाएं खास हो तो किस्से भी ज़रूर होते है…. उंगलियां भी उन्ही पर उठती है जो मशहूर होते है…

नज़रो से दूर हो

नज़रो से दूर हो कर भी यूँ तेरा रुबारु रहना, किसी के पास रहने का सलीका हो तो, तुम सा हो…

मुझे किसीसे नहीं

मुझे किसीसे नहीं अपने आप से है गिला, मैंने क्यूँ तेरी चाहत को जिन्दगी समझा|

इस कदर हम

इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए, कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए, आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था, आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!

इश्क का समंदर

इश्क का समंदर भी क्या समंदर है, जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना…!!

Exit mobile version