पहना रहे हो

पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास, क्या बच गया है फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास…

तुम बेपरवाह रहो

तुम बेपरवाह रहो,.. हम बिना दस्तक के आये थे, बिना आहट के जायेंगे..

इस कदर न दिजिये

इस कदर न दिजिये एहमियत खबरों को… ये चनों से लिपट कर ,, पाँच रूपए में बिक जातीं हैं..

जिस दिन सादगी

जिस दिन सादगी, श्रुंगार हो जाएगी…उस दिन, आईनों की हार हो जाएगी..!

उम्र एक तल्ख़

उम्र एक तल्ख़ हकीकत हैं दोस्तों फिर भी जितने तुम बदले हो उतना नहीं बदला जाता|

जिस दिन सादगी

जिस दिन सादगी, श्रुंगार हो जाएगी… उस दिन, आईनों की हार हो जाएगी..!!

शख्सियत अच्छी होगी

शख्सियत अच्छी होगी ! तभी दुश्मन बनेगे , वरना बुरे की तरफ , देखता ही कौन हैं !! पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंके जाते हैं, जो फलों से लदा होता है , देखा है किसी को सूखे पेड पर पत्थर फेंकते हुए|

परखता रहा उम्र भर

परखता रहा उम्र भर, ताकत दवाओं की, दंग रह गया देख कर, ताकत दुआओं की!!

जलता रहा चिराग

जलता रहा चिराग तेरे इंतजार मे तुम आये भी तो हवा बनकर|

इतनी सी बदली है

तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,… तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं|

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