मेरे महंगे महंगे ख्वाब..

तू आए और आकर लिपट जाए मुझसे, उफ्फ ये मेरे महंगे महंगे ख्वाब..

तू भी तो आइने की तरह

तू भी तो आइने की तरह बेवफा निकला, जो सामने आया उसी का हो गया..

कभी कभी यूँ भी

कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है उससे बिछड़े बरसों बीते लेकिन आज न जाने क्यों आँगन में हँसते बच्चों को बे-कारण… Continue reading कभी कभी यूँ भी

वो जो अँधेरो में

वो जो अँधेरो में भी नज़र आए ऐसा साया बनो किसी का तुम|

उफ़ ये गजब की रात

उफ़ ये गजब की रात और ये ठंडी हवा का आलम, हम भी खूब सोते अगर उनकी बांहो में होते|

नींद कल रात भी

नींद कल रात भी आई थी सुहानी हमको ए फ़क़ीरी तेरा एहसान चुकाएँ कैसे

मोहब्बत के रास्ते

मोहब्बत के रास्ते कितने भी मखमली क्युँ न हो… खत्म तन्हाई के खंडहरों में ही होते है…!!

हजारों महफिलें है

हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं, पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|

तुम्हारी खुशियों के

तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे, मगर हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो |

कभी पलकों पे

कभी पलकों पे आंसू हैं, कभी लब पर शिकायत है.. मगर ऐ जिंदगी फिर भी, मुझे तुझसे मुहब्बत है..

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