मोहब्बत बढती जाएगी…

मेंने तुझसे कब माँगा, अपनी वफाओ का सिला… तूम बस दर्द देते जाओ , मोहब्बत बढती जाएगी…

मुफ़लिसी हालात में

मुफ़लिसी हालात में रहते वक्त बड़ी हिमाक़त से गुजरा आज वही लोग प्यार से पास बिठाकर मान करते मेरा

इश्क़ है तो

दोस्तो कह दो लड़कियो से इश्क़ है तो शक कैसा..? अगर नहीं है तो फिर हमारा हक़ कैसा….?

देखने का नजरिया

देखने का नजरिया सही होना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे स्कूल की पहली घंटी से नफरत होती है पर वही घंटी जब दिन की आखरी हो तो सबसे प्यारी लगती है…

तेरे काफ़िले मेँ

मुझे तेरे काफ़िले मेँ चलने का कोई शौक नहीँ. मगर तेरे साथ कोई और चले मुझे अच्छा नहीँ लगता

खाने पे टूट पड़े

खाने पे टूट पड़े सब , क्या ख़ास – क्या आम …. चालीसवा था जिसका,वो भुखमरी से मर गया …

ज़मीन वालों की

कोई वकालत नहीं चलती ज़मीन वालों की , जब कोई फैसला आसमान से उतरता है ..!!

प्यार से ना देखा

तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने….. हमें इश्क का शौक है, आवारगी का नही…

उधार सा है…

कोई तो सूद चुकाये, कोई तो जिम्मा ले… उस इंकलाब का जो आज तक उधार सा है…

उनसे इश्क़ हुआ है..

सिर्फ रिश्ते टूटा करते हैं साहब, मुझे तो उनसे इश्क़ हुआ है..

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