लफ़्ज़ों से कहाँ लिखी जाती है…

लफ़्ज़ों से कहाँ लिखी जाती है…ये बेचैनियां मोहब्बत की… मैंने तो हर बार तुम्हे…दिल की गहराईयो से पुकारा है…

आज बहुत मेहरबान हो

आज बहुत मेहरबान हो सनम क्या चाहते हो, हमें पाना चाहते हो या किसी को जलाना चाहते हो…

बहुत मुश्किल नहीं हैं

बहुत मुश्किल नहीं हैं, ज़िंदगी की सच्चाई समझना,जिस तराज़ू पर दूसरों को तौलते हैं, उस पर कभी ख़ुद बैठ के देखिये।

नहीं मांगता ऐ खुदा

नहीं मांगता ऐ खुदा, कि जिंदगी सौ साल की दे, दे भले चंद लम्हों की, लेकिन कमाल की दे।

आज़ाद कर दिया

आज़ाद कर दिया हमने भी उस पंछी को, जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहिं समझता था।

कहाँ मिलता है

कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला? जो भी मिलता है समझा के चला जाता है।

घोंसला बनाने में ..

घोंसला बनाने में .. हम यूँ मशगूल हो गए ..! कि उड़ने को पंख भी थे .. ये भी भूल गए ..!!!

बेहिसाब झूठ कहा

बेहिसाब झूठ कहा तो खुदा मान बैठे.. जरा सा सच बोल दिया बुरा मान बैठे…

मनमौजी दिल का

मनमौजी दिल का सरल, मानव रहे प्रसन्न। तुनक़मिजाज़ी आदमी, रहता हरदम सन्न।।

कोई ख़ुशबू नहीं

कोई ख़ुशबू नहीं, साया नहीं, यादें नहीं पीछे, मगर आहट किसी की है…कि मुड़कर देख लेता हूं…!!

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