झूठी तसल्ली को कहा था

वो तो बस झूठी तसल्ली को कहा था तुम से हम तो अपने भी नहीं, ख़ाक तुम्हारे होते

ये शहर है

ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई, जो आदमी भी मिला, बन के इश्तिहार मिला।

याद ही नहीं रहता कि

याद ही नहीं रहता कि लोग छोड़ जाते हैं.आगे देख रहा था, कोई पीछे से चला गया.

तेरा आधे मन से

तेरा आधे मन से मुझको मिलने आना, खुदा कसम मुझे पूरा तोड़ देता है…

आप मुझ से

आप मुझ से, मैं आप से गुज़रूँ…. रास्ता एक यही निकलता है…..

चलो तोड़ते हैं

चलो तोड़ते हैं आज मोहब्बत के सारे के उसूल अपने, अब से बेवफाई और दगाबाज़ी दोनों हम करेंगे!

उस को हार आया हूँ

शौक का बार उतार आया हूँ.. आज में उस को हार आया हूँ.. उफ़्फ़..! मेरा आज मैकदे आना.. यू तो में कितनी बार आया हूँ..

यूँ तो मशहूर हैं

यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के, किस्से बहुत से……………!! मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके, नई कहानी लिखनी

मेरे गुनाह भी ना थे

ज़िन्दगी मिली भी तो क्या मिली, बन के बेवफा मिली….. इतने तो मेरे गुनाह भी ना थे, जितनी मुझे सजा मिली..

चाहने वालों में

मै तो ग़ज़ल सुना कर अकेला खडा रह गया सुनने वाले सब अपने चाहने वालों में खो गए..

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