खुल जाती हैं गाँठें बस जरा से जतन से, मगर लोग कैंचियां चलाकर सारा फ़साना बदल देते हैं…!!!!
Category: शायरी
कहानी जब भी लिखूंगा
कहानी जब भी लिखूंगा अपनी उजड़ी हुई ज़िन्दगी की सबसे मजबूत किरदार में तेरा ही ज़िक्र होगा..!!
पाबंद-ए-वफा हूँ
पाबंद-ए-वफा हूँ, कोई सफाई नहीं दूँगा… साये की तरह रहूँगा साथ, पर दिखाई नहीं दूँगा..!
नाराज़गी बहुत है
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान…!!! वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा…!!!
आँखों से पीते है
वो जो आँखों से पीते है वही बहकते है.. वरना इतना नशा शराब से कहा होता है..
मतलब बाज़ी जितने से है
मतलब बाज़ी जितने से है…. फिर चाहे प्यादा कुर्बान हो या रानी …!!
कभी टूटा नही
कभी टूटा नही मेरे दिल से तेरी याद का रिश्ता… गुफ़्तुगू जिस से भी हो ख़याल तेरा ही रहता है..
सख़्त हाथों से
सख़्त हाथों से भी छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं….
नजाकत तो देखिये
नजाकत तो देखिये साहेब..चांद सा जब कहा उनको.. तो कहने लगी..चांद कहिये ना ये चांद सा क्या है..
काफी दिनों से
काफी दिनों से कोई नया जख्म नहीं मिला; पता तो करो.. “अपने” हैं कहां ????