गुजर रहा था तेरी गली से सोचा उन खिड़कियों को सलाम कर लूँ… जो कभी मुझे देख कर खुला करती थी..
Category: वक़्त शायरी
मेरी ज़िन्दगी की
टिकटें लेकर बैठें हैं मेरी ज़िन्दगी की कुछ लोग……. साहेबान……. तमाशा भी भरपूर होना चाहिए…… निमा की कलम से………..
किसी न किसी
किसी न किसी पे किसी को ऐतबार हो जाता है, अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है, खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा, खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है !!
कदर हैं आज
फासलें इस कदर हैं आज रिश्तों में, जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में
वक्त अच्छा था
वक्त अच्छा था तो हमारी गलती मजाक लगती थी वक्त बुरा है तो हमारा मजाक भी गलती लगती है..
जिंदगी तेरी आँच
ख्वाब शीशे के थे पिघल गये, जिंदगी तेरी आँच ज्यादा थी……
Na sangharsh ho
Na sangharsh ho na takleef ho, to kya maza hai jeene mein; bade bade toofan tham jaate hain, jab aag lagi ho seene mein
मुझे बदल दिया
तुझे शिकायत है कि मुझे बदल दिया वक़्त ने…!कभी खुद से भी सवाल कर’क्या तूं वही है’…….?
ये सस्ती नहीं
ज़माने तेरे सामने मेरी कोई हस्ती नहीं,लेकिन कोई खरीद ले इतनी भी ये सस्ती नहीं…
नतीजो को इनाम
दुनिया सिर्फ नतीजो को इनाम देती कोशिशो को नही.