क्या इल्जा़म लगाओगे

क्या इल्जा़म लगाओगे मेरी आशिकी पर, हम तो सांस भी तुम्हारी यादों से पूछ कर लेते है..

बदन के घाव दिखा कर

बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है, सुना है, वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है!

ज़बान कहने से

ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना, ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!

कलम खामोश पड़ी है

कलम खामोश पड़ी है मेरी, या तो दर्द दे जाओ या फिर मोहब्बत..

हम इजहार करने मे

हम इजहार करने मे , थोडे ढीले हो गए । और इस बीच उन के, हाथ पीले हो गए.

उठाना खुद ही पड़ता है

उठाना खुद ही पड़ता है, थका टुटा बदन अपना…… कि जब तक सांस चलती है कोई कांधा नही देता….

हमसे मोहब्बत का

हमसे मोहब्बत का दिखावा न किया कर… हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है|

मेरे बस में

मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं, लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।

घूम जाने के बिच में

धीरे से इतराना और तेज़ घूम जाने के बिच में, एक लम्हा तुम्हारी आगोश में कँही खो गया है।

खुद से जीतने की जिद है..

खुद से जीतने की जिद है…मुझे खुद को ही हराना है… मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की…मेरे अन्दर एक ज़माना है…

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